मोहन-मूरति स्याम की, अति अद्भुत गति जोइ।
बसतु सु चित-अंतर तऊ, प्रतिबिंबितु जग होइ॥
कृष्ण की मोहक छवि अत्यधिक अद्भुत गति वाली प्रतीत होती है। वे हृदय के भीतर निवास करते हुए भी सारे संसार में प्रतिबिंबित हैं। यहाँ वैचित्र्य यह है कि श्याम की मूर्ति हृदय में है, किंतु उसका प्रतिबिंब सारे संसार में दिखाई पड़ रहा है।
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